Kavita Jha

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नव संकल्प #लेखनी लेख -10-Jan-2022

नए वर्ष का नया संकल्प


नव वर्ष 
३६५ दिन बाद फिर एक नई सुबह एक नए वर्ष में ले आई हमें, नव वर्ष के आगमन ने ढ़ेरों खुशियां जगाई मन में। पिछले दो वर्षों में बहुत कुछ परिवर्तन आया है हमारी जीवनशैली में, किसे पता था कि इस तरह का बदलाव आएगा कभी पृथ्वी पर। एक छोटे से वायरस ने पुरी दुनिया को हिला कर रख दिया, मानव के रहन सहन के साथ उसकी सोच को भी बदल दिया।
अब तो कल का सूरज हमारे नसीब में है या नहीं ये कोई नहीं जानता, कब इस कोरोना के दबोच में आ जाएं कहां जानते हैं हम।पूरी सावधानी बरतती हूं मैं भी,कोरोना के सभी नियमों का पालन करती हूं फिर भी २०२१ के मई महीने में मैं भी इस महामारी की चपेट में आ गई थी, उस समय अपनी मौत को बहुत करीब से देखा ..लगा था वो साल २०२१ अंतिम ही है मेरे जीवन का। अपनों के प्यार और आशीर्वाद ने नव जीवन प्रदान किया। 
बचपन में नए साल का बड़ा उत्साह रहता था, सुबह उठते ही नई डायरी का इंतजार और नए रेजोल्यूशनश यानि नए संकल्पों की एक लंबी लिस्ट तैयार करती।कैसे खुद को बदलूंगी कैसे अच्छी लड़की बनूं सबकी नज़र में यही सोचती फिर जब पापा नए साल की नई डायरी देते और मैं उनके पैर छू कर आशिर्वाद ले कर...शुरू कर देती डायरी में अपना नया रूटिन लिखना।
 सुबह जल्दी उठना है, 
कब क्या-क्या करना है,
 पढ़ने में ज्यादा समय देना है,
कम खेलना है, 
टी वी देखना आज से बन्द,
 भईया दीदी की सब बात मानूंगी,
मम्मी का काम में हाथ बटाऊंगी, 
पापा के साथ मार्निंग वॉक जाऊंगी,
 स्कूल समय पर जाना है,
स्कूल का क्लास वर्क होमवर्क सब समय पर करूंगी , 
अच्छे नंबर लाने हैं हर इक्जाम में.... 
....और भी बहुत कुछ संकल्प किया करती थी। फिर कुछ पर तो खड़ी उतरती और कुछ रेत महल जैसा ही ढह जाते पर फिर नया वर्ष आता और मेरी नई संकल्प सूची तैयार होती।
 साल दर साल यही सिलसिला चलता रहा था मेरे जीवन में पर अब तो मैंने इस तरह अपने संकल्पों की सूची बनाना ही बंद कर दिया जब से दो बच्चों की मां और परिवार की जिम्मेदारियों में फंसी, कहां सोच पाती हूं अपने बारे में। बस परिवार ही मेरी धुरी है ,मैं किंकर्तव्यविमूढ़ समान हो जाती हूं कभी कभी और अपने कर्तव्य पालन में  लगी रहती हूं । 
बच्चों, पति और परिवार के सभी सदस्यों को समय पर नाश्ता खाना , कपड़े ,उनकी सब जरूरतें पूरी कर सकूं बस इतनी तक ही सिमट कर रह जाती मेरी जिन्दगी अगर विगत डेढ़ साल पहले ओनलाइन लेखन से नहीं जुड़ती तो।
 ऐसा नहीं है कि अब भी अपने लिए नहीं सोचना चाहती, पहले की तरह नव वर्ष पर अपने लिए संकल्पों की सूची नहीं बनाना चाहती पर प्राथमिकताएं बदल गई हैं अब मेरी। 
सारी जिम्मेदारी पूरी करते हुए थोड़ा समय अपने लिए भी देने लगी हूं, लिखना पढ़ना यानि मेरे दिमाग को जब भोजन मिलता है तो वो भी स्वस्थ रहता है, वरना नकारात्मक विचारों के चंगुल से खुद को घिरा पाती हूं। 
प्रतियोगिताओं का नाम सुनकर ही एक जोश भर जाता है मुझमें और मैं अपनी क्षमता अनुसार हर उस प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती हूं जिसके मैं योग्य हूं। हर बार प्रतियोगिता परिणाम में मेरा नाम आए ऐसा जरूरी नहीं है पर परिणाम से निराश होकर या पहले ही धारणा बनाकर उसमें भाग लेना छोड़ दूं, बस ऐसा न हो। देखा है मैंने कई नए लेखकों को अलग-अलग मंच पर इस तरह निराश होकर लेखन से मुंह मोड़ते हुए या अपनी पढ़ाई और कर्तव्यों से भागते हुए।
मैं अब अपने संकल्पों की सूची में जल्दी सोना या जल्दी उठना समय पर स्वयं भोजन करना जैसी बातों को तो स्थान नहीं दे सकती बस भगवान से एक प्रार्थना करती हूं परिस्थियां मेरे अनुकूल रहे और मन में निराशा को स्थान न बनाने दूं। खुद का आत्मविश्वास जो डगमगा रहा था उसे फिर से दृढ़ करना है। मैं स्वस्थ रहूंगी तब ही अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से कर पाऊंगी, इसलिए अपने शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को ठीक रखना है, मन में आते बुरे विचारों से खुद को दूर रखना है।
 संयुक्त परिवार आज के समय एक वरदान से कम नहीं है और मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं कि मैं आज भी पुरानी परंपराओं को निभाते हुए एक संयुक्त परिवार में रह रही हूं। बस यह वर्ष २०२२ हमारे परिवार के लिए शुभ रहे, नए शुभ सामाचार ही सुनने को मिले। परिवार के हर सदस्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हों।
अपने संयुक्त परिवार की तरह ही ओनलाइन लेखन में मुझे लेखनी परिवार मिला, इससे जुड़कर लगा खुद से जुड़ी। यहां मुझे बहुत ही अपनापन मिलता है, मेरे लेखन को सराहा जाता है । बस इसी तरह इस लेखनी परिवार का साथ भी बना रहे, समय अभाव के कारण अपना पूरा समय तो यहां नहीं दे पाती पर चाहती हूं कि इस वर्ष कुछ अच्छा लिख सकूं और अपने साथी लेखकों की रचनाएं पढ़ सकूं।
परिवर्तन तो हो ही गया है मुझमें भी, तभी तो न चाहते हुए भी कितना संकल्प लें लिया इस वर्ष भी,बस अब इन्हें पूरा सकूं इतनी भगवान हिम्मत दे मुझमें और मेरे तीनों परिवारों का साथ बना रहे, मायका ससुराल और लेखन.. हां अब एक दो नहीं तीन परिवार हैं मेरे।एक जन्म से मिला,दूसरा विवाह उपरांत और तीसरा इस लेखन सफर में। सबके लिए यह नव वर्ष मंगलमय हो और सब अपनी मनोकामनाओं को पूरी कर पाएं।
मेरा मुख्य संकल्प इस नव वर्ष २०२२ का होगा, निराशा को अपने पास फटकने न देना।
***
कविता झा'काव्या कवि'
# लेखनी
# लेखनी लेखमंथ प्रतियोगिता
१० जनवरी २०२२

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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jan-2022 05:15 PM

बहुत ही अच्छा लेखन और संकल्प

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🤫

10-Jan-2022 12:42 PM

बहुत अच्छा लिखा है आपने माम, सकारात्मक रहे सब अच्छा होगा

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Nitish bhardwaj

10-Jan-2022 12:36 PM

बहुत अच्छा लिखा है आपने और संकल्प भी अच्छा है

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